“कोरोना”
काम ज़ोर-शोर से चालू है
लगता है
यमराज...सौ सालों का
टार्गेट पूरा कर रहे हैं
आसमान की सरकार
जीत का जश्न मना रही है शायद
इसलिए
धरती पर
#बलि दी जा रही है
जिन्हें गुमान था
बंदूक़ें-टैंक-बमों पर
उनको उनकी
औक़ात दिखाई जा रही है
जिन्हें हासिए में रखा गया उन्हीं
हॉस्पिटल और स्कूलों में असली
लड़ाई लड़ी जा रही है
प्रकृति ख़ुश
रिश्ते ख़ुश
माँ भारती की संस्कृति
फिर श्वास ले पा रही है
अहा!!!
कितना शांत हो गया है
माहौल जन्नतों सा
माँ वसुधा फिर से
अपना श्रृंगार कर रही है
मिट गया भ्रम
कि आदमी ही है ब्रह्म
यमराज को अधिकार दे
हमें बंधक बना रही है
तथाकथित फ़ॉरवर्ड पीढ़ी
बैकवर्ड बन गई
टिश्यु पेपर वालों को
हाथ धोना सीखा रही है
इंग्लिश मीडियम बच्चे
बेरोज़गार हो गए
सरकारी नौकरों को
गुणगान गा रही है
अगली पीढ़ी देख सके
स्वच्छ धरती
नीला आसमान
इसलिए
ये कायनात
पुनर्निर्माण कर रही है
सेवाभावी
दानदाता
अन्नदाता...ही है...मनुष्य
गली-गली हर राह
ज़िंदगी..बस यही सीखा रही है
#वो_चाहे_तो_पल_में_उरूज
#और_पल_में_ज़वाल_कर_दे
#ज़िंदगी
#सिर्फ़_और_सिर्फ़
#उसकी_अमानत_है
#न_जाने_कितनी_ज़िंदगियाँ_गवाँ_कर
#ये_इल्म_पाया_है
#और_ये_हमें
#कोरोना_ने_सिखाया_है
©® #Meera_Krishna ( सरला सोनी )
#बेसबब_आदमी
मेरी आत्महत्या
कवर पेज की सुर्ख़ियाँ नहीं बनती
मेरी भुखमरी पर
मो’तबरों की बहसें नहीं होती
मैं दो गज़ ज़मीन
जीते-जी कमा न पाऊँ
तो किसी को हैरानी नहीं होती
मेरे बच्चे भूखे मर जाए
तब भी
मेरे लॉन की किश्त
माफ़ नहीं होती
बराबर टैक्स भरकर भी
टैक्स चोरी के इल्ज़ाम पर
ज़िल्लत महसूस नहीं होती
मेरे टैक्स को
अमीर..बीपीएल परिवारों में
बाँट दिया जाता है
और मेरे बच्चे को
ठीक से..रोटी भी नसीब नहीं होती
मेरे हाथ के छालों
और..मरी हुई चमड़ी पर पड़ी
बिवाइयाँ देखकर
किसी की आँख नम नहीं होती
मेरी मौत पर भी
मिलता नहीं मुआवज़ा किसी को
सोचती हूँ...मैं भी कोई
आपदा की मारी
किसी खेत की #फसल होती
मेरी हत्या तक
किसी इंसान को
विचलित नहीं करती
ना मैं ग़रीब कि
किसी की सहानुभूति मिले
ना मैं इतना अमीर कि
#टॉप_पचास में मेरा नाम हो
और...मेरे हर गुनाह माफ़ हो
हाय री...ज़िंदगी
मैं कैसा
बेसबब
बेहया
बेकार सा
मध्यमवर्गीय इंसान हूँ
©® #Meera_Krishna ( सरला सोनी )
“
मिलन”
किसी शाम
तू मेरे काँधे पर
सर टिकाए
गुम हो जाए मुझमें
और मैं समेट लूँ तुम्हें
जैसे कमल समेट लेता है
भौंरे को
और मैं
सूरज की किरण को भी
कर दूँ नज़रअंदाज़
और पंखुड़ियाँ कस के जकड़ लूँ
प्रकृति के ख़िलाफ़
समा लूँ मैं तुझको
और...
मिलन हो जाए हमारा भी
कृष्ण और “मीरा”सा
©® #Meera_Krishna ( सरला सोनी )
क्षणिकाएँ
#
अनाउंसमेंट
महिला दिवस पर
आयोजित इस भव्य प्रोग्राम में
आपका स्वागत है
अब आपके समक्ष
सरपंच प्रतिनिधि
(माननीय सरपंच पति)
महिला विकास पर
अपने विचार साझा करेंगे
#काग़ज़
मरहूम ज़ुबैर के
बूढ़े..बीमार अब्बू ने आँसू पौंछे
और घर से निकलने लगे
कि पीछे से
ज़ुबैर की नव वधु ने आवाज़ दी
अब्बू...ये लो”काग़ज़”
इनके बिना...मुआवज़ा नहीं मिलेगा
#रानी_चींटी
चींटियों का एक झुंड
रानी चींटी को बचाकर
दूर सुरक्षित स्थान पर ले गया
रानी चींटी बचा ली गई
ताकि वो फिर एक फ़ौज बना सके
अपनों के ख़िलाफ़ लड़ने वालों की फ़ौज
#मुआवज़ा
मुआवज़ा सिर्फ़ फसलों का होता है
अहसासों का नहीं
ज़रूरतों का नहीं
आँसुओं का नहीं
भूख का नहीं
पीछे छूटी..अभागी..बीमार फसलों का नहीं
#कोरोना
तुम्हारे पास कोई न आना चाहे
तब..तुम मुझे याद कर लेना
तुरंत हाज़िर हो जाऊँगी
तुम्हारा साथ
जिस हाल में मिले
मुझे मंज़ूर है
#बदनाम_गली_से
अरी लज्जो
इ गिराहक आने बंद कैसन होई गवा
रामजी की मेहर हुई है बिब्बी
सुना है
कोई एड्स से भी भला रोग आया है
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-सरला सोनी ( मीरा कृष्णा )
जोधपुर ( राजस्थान)
वरिष्ठ शिक्षक
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