कासगंज : निर्झर साहित्यिक संस्था के माध्यम से आनलाइन श्रद्धांजलि-
संदेश प्रेषित कर नगर के साहित्यकारों ने अपने प्रिय युवा साथी, प्रखर व्यंगकार सुकवि दविन्दर सिंह चण्डौक के असामयिक निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया, निर्झर के अध्यक्ष डॉ० राम प्रकाश "पथिक" ने कहा-
*"गम्भीर व्यंग्य का एक समर्थ कवि चला गया/जीवंत, मुखर,कवि मित्र मृत्यु से छला गया*" इसीके साथ पथिक ने यह भी कहा कि जिसके नाम से हंसी आती है, आज उसके नाम से रोना आ रहा है! निर्झर के संरक्षक डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ ने कहा- "हमने दविन्दर चण्डौक के साथ ही एक प्रखर, बेबाक होनहार रचनाकार को खो दिया है!" निर्झर के प्रबंध- निदेशक डा० सुरेन्द्र गुप्ता ने कहा - "दविन्दर चण्डौक यारों का यार था, बहुत ही मिलनसार और एक उभरता हुआ रचनाकार था " डा० विमलेश अवस्थी ने कहा-"दविन्दर चण्डौक, एक अच्छे इंसान ही नहीं, कुशल व्यापारी नेता, सशक्त व्यंग्यकार थे, उनका जाना, हम सभी को बहुत आहत कर गया है ! वरिष्ठ साहित्यकार डा० सुभाष चन्द्र दीक्षित ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा-"सुतीक्ष्ण व्यंग्य से प्रारंभ होकर समसामयिक विषयों पर ग़ज़लें कहने तक के उत्कृष्ट काव्य के लिए सदैव स्मृतियों में रहेंगे !"निर्झर के सचिव अखिलेश सक्सेना ने कहा- "दविन्दर चण्डौक का जाना, युवा कवि मित्रों के दिलों को गहरी कचोट दे गया है!" गीतकार होरी लाल व्यास ने, अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा -"दविन्दर का असामयिक जाना, हर कवि हृदय को झकझोर गया है!कवयित्री प्रमेश लता पाण्डेय ने कहा -"यूँ तो सबको जाना है, और सभी जाते हैं, लेकिन कुछ ही खास जो जाकर,बहुत अखर जाते हैं!" "डा० अजय अटल ने कहा-" हिंदी कविता के प्रेमी, व्यंग्य- कार और बेबाक टिप्पणी कार थे, दविन्दर! "डा० शंकर लाल ने कहा-" अल्हड़, मस्त चाव था उसका, मुंहफट ग़ज़ल राग था उसका/ छोड़ गया रोता हम सबको, हंसना बोल स्वभाव था उसका" निर्मल सक्सेना ने कहा-"कासगंज के लाड़ले व्यक्तित्व थे, कवि ,समाज- सेवा, पत्रकारिता, और व्यापारी नेता के रूप में विशिष्ट पहचान थी उनकी! "मनोज शर्मा" शलभ", आदर्श सक्सेना एड०, मनोज " मंजुल ", मधुर पुढ़ीर, दीपक सक्सेना, आदि ने भी अपना गहरा व्यक्त किया!
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