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अभय मंजुला सेवा संस्थान गरीब बच्चों एवं बूढ़ों के साथ मनाई दीपावली

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02 नवंबर 2024 उदयपुर : रिपोर्ट - मीनल भंडारी  दिवाली के अवसर पर कल बच्चों को बड़ों को कपड़े , कंबल , जूस, चिप्स , शूज , ड्राई फ्रूट्स, बिस्कुट के पैकेट और  मिठाई देकर उनके साथ दीपावली की खुशियां बनाई । साथ ही  इस संस्था के मीनल जैन हर्षिल  भंडारी, मंथन मेहता साथी दिव्यांशी भंडारी और आयुष आमेटा भी  अवसर पर शामिल हुए ।            विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें | Sachchi Pahal News | SPNews | सच्ची पहल समाचार | सच्ची पहल | SP News | SachiPahal | sachchipahal |

08 अक्टूबर 2022

➡️राजस्थान राज्य भारत स्काउट व गाइड मण्डल मुख्यालय उदयपुर । स्काउटिंग से सीखते हैं अनुशासन ।
राजस्थान राज्य भारत स्काउट व गाइड मण्डल मुख्यालय उदयपुर के जिला उदयपुर के तत्वावधान में जिला स्तरीय राज्य पुरस्कार स्काउट अनुशंसा शिविर 07 से 10 अक्टूबर तक मण्डल शिविर केन्द्र उदयनिवास पर आयोजित किया जा रहा है। ध्वजारोहण के साथ शिविर का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर बतौर शिविराधिपति सुरेंद्र कुमार पाण्डे जिला संगठन आयुक्त स्काउट ने संबोधित करते हुए कहा कि स्काउटिंग जीवन जीने की कला सीखाता है। स्काउटिंग के माध्यम से अनुशासन सीखने को मिलता है।  उन्होंने बताया कि बताया कि इस शिविर में उदयपुर जिले के राजकीय एवं निजी विद्यालयों के राज्य पुरस्कार के लिए ओनलाइन पंजीकृत 157 स्काउट्स जांच प्रक्रिया में शामिल हुए हैं।
पाण्डे ने बताया कि शिविर में प्रवेश से राज्य पुरस्कार तक के निर्धारित पाठ्यक्रम अनुसार लिखित,मौखिक एवं प्रायोगिक परीक्षा ली जा रही है। सेवा कार्य, दक्षता बैजो,हाईक आदि की लोग बुक जांच की गयी है। निर्धारित स्काउट यूनिफार्म एवं उससे संबंधित सभी जानकारी, सामान्य ज्ञान, स्काउट गाइड स्किल्स, कैंप क्राफ्ट, पायनियरिंग, गांठों, प्राथमिक सहायता, दिशा ज्ञान का परीक्षण किया गया है।
शिविर का संचालन तेजशंकर चौबीसा सहायक लीडर ट्रेनर स्काउट कर रहे हैं। परीक्षण कार्य में राधेश्याम मेनारिया, वकतावर सिंह देवड़ा, गणपतलाल मेनारिया,
श्याम किशोर उपाध्याय, सोहनलाल मेघवाल, राजवीर सिंह सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
शिविर व्यवस्थाओं में स्काउट्स के साथ उपस्थित सभी एस्कॉर्ट स्काउट मास्टर सहयोग प्रदान कर रहे हैं। 
सुरेंद्र कुमार पाण्डे जिला संगठन आयुक्त स्काउट मण्डल मुख्यालय उदयपुर ।

➡️मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक सवाल किया था कि क्या एक महिला के अपने पति की सहमति के बिना गर्भावस्था को समाप्त करने के फैसले को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत क्रूरता कहा जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि "अपीलकर्ता / पति की दलील को भी स्वीकार किया जाता है, यह अच्छी तरह से तय है कि एक महिला का प्रजनन विकल्प रखने का अधिकार उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक अविभाज्य हिस्सा है जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत परिकल्पित है।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि शादी के बाद काम पर जाने की इच्छा रखने वाली महिला को क्रूरता नहीं कहा जाएगा. पीठ ने पारिवारिक अदालत के उस आदेश के खिलाफ पति द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।
क्या था मामला
पति ने क्रूरता और परित्याग के आधार पर अपनी पत्नी से तलाक मांगा. उन्होंने आरोप लगाया कि 2001 में उनकी शादी की शुरुआत के बाद से उनकी पत्नी ने काम करने पर जोर दिया. पति की सहमति के बिना अपनी दूसरी गर्भावस्था को समाप्त करने का आरोप भी महिला पर है. पति ने दावा किया कि उसकी पत्नी ने 2004 में अपने बेटे के साथ घर छोड़ दिया, कभी वापस नहीं लौटी।
इसके विपरीत, पत्नी ने अपने वकील के माध्यम से तर्क दिया कि उसने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया है जो उसे मातृत्व की स्वीकृति का संकेत देता है. दूसरी गर्भावस्था को उसकी बीमारी में समाप्त कर दिया गया था और उस आदमी ने 2004-2012 तक उसे घर वापस लाने या अपने बेटे की आजीविका के लिए भुगतान करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया था. इसके अलावा, उसने घर इसलिए छोड़ दिया क्योंकि पति और उसकी बहनें लगातार उसके चरित्र पर शक कर रही थीं ।



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महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश

महिलाओं और बच्चों के विकास को गति देने के उददेश्य से भारत सरकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक हिस्से के रूप में महिला एवं बाल विकास विभाग की स्थापना वर्ष 1989 में हुई है। महिलाओं को सशक्त करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 1989 में पूर्ण कालिक महिला एवं बाल विकास विभाग की स्थापना की गई महिलाओं के कल्याण सम्बन्धी कार्यक्रमों में गतिशीलता लाने के उददेश्य से राज्य स्तरपर महिला कल्याण निदेशालय एवं बाल विकास पुष्टाहार, निदेशालय की स्थापना की गईहै। वर्ष- 2013 में शासन द्वारा दो विभागों को पृथक कर महिला एवं बाल विकास पुष्टाहार व महिला कल्याण विभाग अलग-अलग बना दिया गया है। अनाथालय एंव आन्य पूर्त आश्रम (पर्यवेक्षण एंव नियंत्रण 1960) के अन्तर्गत स्थापित उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड एवं केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की राज्य इकाई के रूप में राज्य सरकार क्षरा स्थापित राज्य समाज कल्याण बोर्ड को भी महिला एवं बाल विकास विभाग के नियंत्रणाधीन रक्खा गया है, ताकि इन संस्थाओं का अधिकतम लाभ उठाया जा सके।
एक राष्ट्रीय कार्यालय के रूप में कार्य करते हुये यह विभाग महिलाओं और बच्चों के विकास के लिये विभिन्न योजनाए नीतियाँ और कार्यक्रम करता है तथा कई नियम भी लागू करता है। इसके साथ, साथ सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के साथ सामंजस्य स्थापित करता है, जो महिला एवं बाल विकास में योगदान दे रही है। विभाग महिलाओं एवं बच्चों के लिये कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करता है। यह कार्यक्रम कल्याण रोजगार और आय के लिये प्रशिक्षण एंवं उत्पादन जैसे अन्य कार्यो के बारे में बताते है। यह कार्यक्रम स्वास्थ्य शिक्षा और ग्रामीण विकास के कार्यो के लिये एक अतिरिक्त और प्रशंसात्मक किरदार निभाते है। यह सभी प्रयास यह सुनिश्चित करने के लिये किये जाते हैं कि महिलाये आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से अधिकृत है अतरू वे राष्ट्रीय विकास में पुरूषों के बराबर योगदान देती हैं।
भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण मिशन (एन0एम0वी0डब्ल्यू0) भी स्थापित किया गया है जिसके द्वारा एक तरफ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, वन स्टाप सेन्टर व 181 महिला हेल्प लाइन द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण दिशा में कार्य किया जा रहा है, दूसरी तरफ विभिन्न मंत्रालयों में कन्वर्जेन्स से गरीबी उन्मूलन स्वास्थ्य, शिक्षाए पोषण, जेन्डर वस्टिंग व लिंग आधारित हिंसा के प्रति रक्षा के कार्यक्रमों का समन्वय करते हुए महिलाओं का सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत राज्य महिला सशक्तिकरण मिशन का गठन आदेश संख्या-02/साठ-3-15-13(11)/14 दिनांक 07.01.2015 को किया गया है। मिशन के अंतर्गत सखी आशाज्योति केद्रों के माध्यम से (वर्तमान में 11 जनपदों) विभिन्न विभागों की महिला सशक्तीकरण कार्यक्रमों को एक छत से कन्वर्जेन्स के माध्यम से संचालित करने का कार्य आरम्भ किया गया है और राज्य स्तर पर उ0प्र0 रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष के माध्यम से आई0पी0सी0 की धारा 326क, 304ख, 376क, 376ग, 376घ, पाक्सो की धारा 4, 6 एवं 14 तथा 302 के साथ पठित पाक्सो की धारा 4/6 के अंतर्गत हिंसा पीड़ित महिलाओं को रु0 3 लाख से 10 लाख तक की आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए उनमें पुर्नवास हेतु प्रभावी कार्य किया जा रहा है। कोष द्वारा हिंसा पीड़ित महिलाओं एवं उनके आश्रितों तथा आर्थिक रूप से निर्बल महिलाओं हेतु शैक्षिक एवं चिकित्सीय सुविधा हेतु आर्थिक सहायता दिये जाने का भी प्राविधान किया गया है। कोष की संरचना रु0 100 करोड़ के बजटीय प्राविधान से की गयी है जिसे आवश्यकता अनुरूप बढ़ाये जाने की प्रतिबद्धता है तथा जन सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कोष में जन साधारण द्वारा दान देने का प्रावधान है।
बच्चों के विकास के लिये मंत्रालय ने विश्व का सबसे बड़ा और अनोखा कार्यक्रम इंटिग्रेटेड चाइल्ड डेब्लपमेन्ट सर्विस की शुरूआत की है जिसमें अतिरिक्त पोषक तत्व, टीकाकरणए स्वास्थ्य देखभालए पूर्व विद्यालय शिक्षा और शिक्षा शामिल है। विभिन्न खण्डों के कार्यक्रमों को पूर्णतरू देखा जाता है और उन्हें सामंजस्य स्थापित किया जाता है। मंत्रालय के ज्यादातर कार्यक्रम गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा किये जाते हैं। गैर सरकारी संस्थानों की भागीदारी को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिये प्रयास किये जा रहे है।
मंत्रालय द्वाराए नेशनल कमीशन फार वोमन (एन0सी0डब्लू0) राष्ट्रीय महिला कोष (आर०एम०के०), नेशनल न्यूट्रीशन नीति (एन०एन०पी०), इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विस का संगठन, नेशनल क्रेश फंड की स्थापना, इंदिरा महिला योजना (आई०एम०वाई०) और बालिका समृद्धि योजना (बी०एस०वाई०), ग्रामीण महिला विकास और सशक्तिकरण परियोजना बड़ी नीतियों के रूप में लागू की गयी है।

संगठन

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की देख रेख में चलता है जो कि महिला एवं बाल विकास जैसे कार्यो को देखता है। मंत्रालय के कार्यो की देखरेख 4 ब्योरों से होती है। यह हैं- ब्यूरो आफ चाइल्ड डेवलपमेंन्ट ब्यूरो आफ चाइल्ड वेलफेयर एण्ड न्यूट्रीशन, ब्यूरो आफ वोमन डेवलपमेंन्ट और ब्यूरो आफ माइक्रोक्रडिट डेवलपमेंन्ट। अत: यहाँ चार ब्यूरो हैं और उनकी देखरेख संयुक्त सचिव करते हैं। मंत्रालयों के 4 स्वचालित संगठन है। नेशनल इस्टीट्यूट आफ पब्लिक कोपरेटिव एण्ड चाइल्ड डेवलपमेंन्ट (एन०आई०पी०सी०सी०डी०), राष्ट्रीय महिला कोष (आर०एम०के०), सेन्ट्रल सोशल वेलफेयर बोर्ड (सी०एस०डब्लू०बी०) और सेन्ट्रल एडाप्शन रिर्सोस एजेन्सी (सी०ए०आर०ए०)। एन०आई०पी०सी०सी०डी० और आर०एम०के० सोसाइटीज रेजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अंतर्गत पंजीकृत है। सी०एस०डब्लू०बी० एक धर्माथ कम्पनी है जो कि श्इण्डियन कम्पनीज एक्टस के सेक्शन 25 के अन्तर्गत पंजीकृत है। सभी संगठनों को सरकार द्वारा पूर्ण सहायता प्रदान की जाती है और सभी संगठन विभागों का कार्य करने में मदद करते है और साथ ही नये कार्यक्रमों और योजनाओं की भी शुरूआत करते है। महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिये नेशनल कमीशन फार वोमनश् की स्थापना एक राष्ट्रीय शीर्ष वैधानिक संगठन के रूप में 1992 में की गई।

महिला कल्याण द्वारा संचालित कार्यक्रम एवं योजनाएं




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