➡️डायरिया से बचाव के लिए साफ-सफाई जरूरी
डायरिया होने पर भी माँ बच्चे को बार-बार कराएं स्तनपान : डॉ. दिनेश शर्मा ।
बदलते मौसम में डायरिया से ग्रसित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है । बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए इसके लक्षणों के प्रति सतर्कता व समय पर उचित प्रबंधन से बच्चों को डायरिया जैसी गंभीर बीमारी से सुरक्षित किया जा सकता है । डायिरया के कारण बच्चों में निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) हो जाता है, जिससे बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है । डायरिया शिशु मृत्यु के मुख्य कारणों में एक है । यह जानकारी संयुक्त जिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश शर्मा ने दी ।
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में जिले में 38 लोग डायरिया से ग्रसित हैं। जिसमें 7 बच्चे शामिल हैं, जिनका इलाज संयुक्त चिकित्सालय मामो में चल रहा है । संयुक्त जिला चिकित्सालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में डायरिया का वार्ड भी बना हुआ है। जिसमें डायरिया का मरीज़ आने पर भर्ती कर इलाज की निःशुल्क व्यवस्था की जाती है। उनका कहना है कि मौसमी बदलाव में बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना जरुरी है। माँ अपने बच्चे के लिए साफ-सफ़ाई का विशेष ध्यान दें।
पीने का पानी स्वच्छ होना चाहिए और हमेशा ढक कर रखें। पीने के पानी को निकालने के लिए डंडीदार लौटे का प्रयोग करें । खुद की व आस-पास की सफाई पर ध्यान दें, स्तनपान से पहले, खाना बनाते व खिलाते समय, खाना खाने से पहले, शौच के बाद, बच्चे के मल को निपटाने के बाद हाथों को साबुन पानी से अच्छी तरह धोएं । शौच के लिए शौचालय का प्रयोग करें । इन बातो का ख्याल रखने से डायरिया से बचा जा सकता है ।
उनका कहना है कि बार-बार डायरिया होने से बच्चे का वजन गिर सकता है जिससे वह कुपोषित हो सकता है । अगर बच्चा कुपोषित है उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है इसलिए ऐसे बच्चे को डायरिया भी आसानी से हो जाता है ।
उन्होंने बताया कि माँ बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान ही कराए । पानी, शहद, घुट्टी एवं ऊपरी आहार में कुछ भी न दें, क्योंकि यह सब बच्चे में डायरिया होने का कारण बन सकता है । 6 माह तक के बच्चे को डायरिया होने पर माँ बच्चे को केवल स्तनपान ही कराएं इसे रोके नहीं बार बार माँ का दूध ही दें, जिससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे ।
बाल रोग विशेषज्ञ ने कहा कि 6 माह से ऊपर के बच्चों को डायरिया होने पर डॉक्टर की सलाह अनुसार उसे ओ.आर. एस का घोल दें, और पूरी तरह से डायरिया ठीक ना हो तब तक घोल जारी रखें, 14 दिन तक बच्चे को ज़िंक दें, दस्त रुकने पर भी ज़िंक बंद न करें| स्थिति सही न होने पर डॉक्टर से जाँच जरुर कराये, और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही उपचार करे ।
बरतें सावधानी तो बच सकते डायरिया से :
डॉ. शर्मा ने बताया कि यह संक्रामक बीमारी है। जहां कहीं भीं गंदगी होती है वहां इसके कीटाणुओं का वास रहता है। इसके साथ सफाई नहीं रहने के कारण भी इस यह बीमारी तेजी से फैलता है। जिसमें कई जानें भी चली जाती है। इस बीमारी में पैखाना अधिक होता है। इसके साथ उल्टी भी होती है। धीरे-धीरे शरीर से पानी कम होता जाता है। इसलिए इसमें सावधानी बरतना जरूरी है। यदि स्वयं की स्वच्छता पर ध्यान दें तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।
डायरिया होने के कारण :
-दूषित पानी पीने-बासी भोजन करने-पानी या भोजन सामग्री को ढंक कर नहीं रखना।
-खाना जहां बनता हो वहां सफाई नहीं रहना।
-खाना परोसने के समय हाथों की सफाई नहीं करना।
-खाना खाने वालों द्वारा हाथ की सफाई नहीं करना।
शोक- सभा 'नि़र्झर' के अभिन्न साथी और नगर के वरिष्ठ रचनाकार डा० शिवशंकर मैथिल के पुत्र प्रिय श्री सुधाकर मैथिल के आकस्मिक निधन हो जाने के शोक में आज 'प्रभुपार्क हनुमान मंदिर' में आयोजित की गई, सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा० सुभाष चंद्र दीक्षित ने की| सभा में उपस्थित डा० अखिलेश चन्द्र गौड़, आदर्श सक्सेना एडवोकेट, होरी लाल व्यास, नीरज कुमार, अखिलेश सक्सेना, मनोज शर्मा 'शलभ', मनोज 'मंजुल', डा० अजय अटल, कृष्ण चन्द्र शर्मा 'चंचल', आशीष शर्मा, अचिंत सक्सेना, डा० विमलेश अवस्थी, विवेक झा आदि ने भारी मन से अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की और गहरा दुःख प्रकट किया|सभा के अंत में दो मिनट का मौन धारण कर पुण्यात्मा की चिर शान्ति और शोक-संतप्त परिवारजनों को यह असहनीय पीडा़ वहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिए परमपिता परमेश्वर से विनम्र प्रार्थना के साथ भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई | सभा का संचालन अखिलेश सक्सेना ने किया।
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