हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन,
रग-रग हिन्दू मेरा परिचय।।
मेरा परिचय
हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥
मै शंकर का वह क्रोधानल, कर सकता जगती क्षार-क्षार
डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं, जिसमें नाचता भीषण संहार
रणचंडी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का उन्मत्त हास
मै यम की प्रलयंकर पुकार, जलते मरघट का धुंआधार
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती में आग लगा दूं मैं
यदि धधक उठे जल थल अंबर, जड चेतन तो कैसा विस्मय
हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥
मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिए आया भू पर
पय पीकर सब मरते आए, मैं अमर हुआ लो विष पीकर
अधरों की प्यास बुझाई है, मैंने पीकर वह आग प्रखर
हो जाती दुनिया भस्मसात, जिसको पल भर में ही छूकर
भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन
मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया, न इसमें कुछ संशय
हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥
मै अखिल विश्व का गुरु महान, देता विद्या का अमर दान
मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग, मैंने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान
मेरे वेदों का ज्ञान अमर, मेरे वेदों की ज्योति प्रखर
मानव के मन का अंधकार, क्या कभी सामने सका ठहर
मेरा स्वर्णाभा में गहरा-गहरा, सागर के जल में चेहरा-चेहरा
इस कोने से उस कोने तक कर सकता जगती सौरभ मैं
हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥
मैं तेजःपुन्ज तम लीन जगत में फैलाया मैंने प्रकाश
जगती का रच करके विनाश, कब चाहा है निज का विकास
शरणागत की रक्षा की है, मैंने अपना जीवन देकर
विश्वास नहीं यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर
यदि आज देहलि के खण्डहर सदियों की निद्रा से जगकर
गुंजार उठे उनके स्वर से हिंदू की जय तो क्या विस्मय
हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥
दुनिया के वीराने पथ पर, जब जब नर ने खाई ठोकर
दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर
मैं आया तभी द्रवित होकर, मैं आया ज्ञान दीप लेकर
भूला-भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर
पथ के आवर्तों से थककर, जो बैठ गया आधे पथ पर
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय
हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥
मैने छाती का लहू पिला, पाले विदेश के सुजित लाल
मुझको मानव में भेद नहीं, मेरा अन्तःस्थल वर विशाल
जग से ठुकराए लोगों को लो मेरे घर का खुला द्वार
अपना सब कुछ हूं लुटा चुका, पर अक्षय है धनागार
मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयों का वह राजमुकुट
यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरिट तो क्या विस्मय
हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥
मैं वीरपुत्र मेरी जननी के जगती में जौहर अपार
अकबर के पुत्रों से पूछो क्या याद उन्हें मीना बझार
क्या याद उन्हें चित्तौड़ दुर्ग मे जलने वाली आग प्रखर
जब हाय सहस्त्रो माताएं तिल-तिल कर जलकर हो गईं अमर
वह बुझने वाली आग नहीं, रग-रग में उसे समाए हूं
यदि कभी अचानक फूट पड़े विप्लव लेकर तो क्या विस्मय
हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥
होकर स्वतन्त्र मैने कब चाहा है, कर लूं सब को गुलाम
मैंने तो सदा सिखाया है, करना अपने मन को गुलाम
गोपाल राम के नामों पर, कब मैंने अत्याचार किया
कब दुनिया को हिंदू करने, घर-घर मे नरसंहार किया
कोई बतलाए काबुल में जाकर कितनी मस्जिद तोड़ी
भूभाग नहीं शत-शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय
हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥
मै एक बिंदु परिपूर्ण सिंधु है यह मेरा हिंदू समाज
मेरा इसका संबंध अमर मैं व्यक्ति और यह है समाज
इससे मैंने पाया तन-मन, इससे मैंने पाया जीवन
मेरा तो बस कर्त्तव्य यही, कर दूं सब कुछ इसके अर्पण
मैं तो समाज की थाति हूं, मैं तो समाज का हूं सेवक
मै तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय
हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय॥
-अटल बिहारी वाजपेयी
'अटल जी, अमर रहेंगे
कासगंज जनपद के शहर कासगंज में मुख्य शनि देव के मंदिर के सामने मालगोदाम रोड पर मां.अटल विहारी बाजपैई पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की गई , तथा दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई वहीं विश्व हिन्दू महा संघ के वैनर तले यह कार्यक्रम संपन्न हुआ , इसी श्रृंखला में जिला अध्यक्ष विश्व हिन्दू महा संघ जितेन्द्र सिंह उर्फ जीतू ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन पर हमें बहुत दुख है तथा हमेशा उनके आदर्शों पर चलते रहेंगे, वहीं जिला महामंत्री सुनील पांडे ने कहा
अटल बिहारी वाजपेई जी के नेतृत्व को हम भुला नहीं सकते , उनकी यादों में पूरा भारत इस दौरान श्रद्धांजलि देने में लगा हुआ है हम भी उनके आदर्शों को हमेशा याद रखना चाहिए। इस दौरान श्रद्धांजलि अर्पित करने में दीपू कश्यप,रामू बघेल,हनी सिंह,ल़ोरेंश ठाकुर, विक्की ठाकुर, अनिल बघेल, जितेन्द्र राजपूत,लडेतू चाचा,दीपक, विशाल,चरन सिंह, संतोष कुमार पत्रकार ,डा. सर्वेश सुधाकर, संपादक सच्ची पहल समाचार पत्रिका , कमल कुमार,
हरी शंकर धनगर सभासद वार्ड
न. ८ कासगंज...............
कासगंज से संतोष कुमार की ताज़ा रिपोर्ट
--अटल तुम क्या गये, एक युग-सा गया.......!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj6DHYLroIzy2YYZfvPX22Yn45E6Iap922-CnbBT7yO6wAJoiCODN3EKGjGYvUkjGYRWeqH-GPoJMqlBbfZjePAoPfmXBh0poznjHbjm7PLgbnQ6blN824vgduifGZ3UTWNmhwUSJxpwNU/s320/IMG-20180819-WA0044.jpg)
- - - निर्झर साहित्यिक संस्था कासगंज के तत्वावधान में पूर्व प्रधानमंत्री, प्रखर वक्ता और भारतीय राजनीति के भीष्म-पितामह अटल बिहारी वाजपेयी जी के निधन पर एक भाव-भीनी श्रद्धांजलि सभा प्रभु-पार्क में डॉ०अखिलेश चन्द्र गौड़ की अध्यक्षता तथा डॉ०शशिलता चौहान के सानिध्य में आयोजित की गई। च क्रेश चन्द्र गौड़ ने कहा - " अटलजी क्या गये, एक युग-सा गया। मनोज मंजुल नेपढ़ा-'स्वभाव अटल का था मर्यादा पुरुषोत्तम - सा।' होरीलाल व्यास ने पढ़ा-'देश का स्वाभिमान बढ़ाया श्री अटल बिहारी ने। 'अखिलेश सक्सेना ने पढ़ा-'आज हरेक भारतवासी की आँख बहुत है नम।' डॉ० राम प्रकाश पाल'पथिक'ने पढ़ा- 'जब अटल जगत से दूर हुए, भारतवासी बेनूर हुए।' डॉ०अखिलेश चन्द्र गौड़ ने पढ़ा -'उस राजपुरुष को जन मन गण का, वंदन और नमन है। 'विनय चंदन ने पढ़ा -' राजधर्म ध्रुव सितारा बुझ गया, और संसद के सदन बेनूर हैं। ' मनोज शर्मा'शलभ', उत्कर्ष सक्सेना, ललित कुलश्रेष्ठ, अचिंत सक्सेना, हरिशंकर एड०, श्रीकृष्ण शर्मा चंचल, आलोक सक्सेना, राजीव चौहान, रामसिंह गार्ड,दीपक साहू, आदर्श सक्सेना एड०, राजूचौहान आदि ने शोक - सभा में उपस्थित कर श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।
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