सुकवि अजेय स्मृति-दिवस पर निर्झर ने आयोजित किया "गीत -ग़ज़ल महोत्सव" भव्यता से सम्पन्न
निर्झर के प्रबंध निदेशक श्री अखिलेश कुमार सक्सेना सच्ची पहल समाचार के संपादक डॉ. सर्वेश सुधाकर का सम्मान करते हुए
निर्झर साहित्यिक संस्था, ने अपने संस्थापक सुकवि जय मुरारी लाल सक्सेना "अजेय" की 18वीं *"पुण्यतिथि*"पर स्थानीय कृष्णा पैलेस में एक भव्य "गीत ग़ज़ल, महोत्सव" का आयोजन किया, जिसमें दिल्ली के सुविख्यात ग़ज़लकार दीक्षित दनकौरी का शाल ओढ़ाकर व प्रतीक चिह्न प्रदान कर अभिनंदन किया गया, इस अवसर पर श्री दनकौरी जी को, उनकी साहित्यिक उपलब्धियों को व्याख्यायित करता अभिनंदन-पत्र भी भेंट किया गया। निर्झर द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रदत्त किया जाने वाला "सुकवि अजेय स्मृति पुरस्कार 2019" मथुरा के वरिष्ठ साहित्यकार एवं श्रेष्ठ कवि तेजपाल शर्मा को प्रदान किया गया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती व सुकवि अजेय के चित्र पर माल्यार्पण कर तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम को विधिवत् उद्घाटित किया गया
कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ ०सुरेन्द्र गुप्ता, मंच गौरव डा० अखिलेश चन्द्र गौड़, मंच विभूति डा० सुभाष चंद्र दीक्षित, आनंद पुढ़ीर , प्रधानाचार्या श्रीमती प्रिया माहेश्वरी आदि ने फीता काट कर, कार्यक्रम का शुभारंभ किया। आयोजन के प्रारंभ में डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ ने सरस्वती वंदना पढ़ी, तत्पश्चात देहरादून से पधारे गीतकार जशवीर सिंह "हलधर" ने पढा- *"हार जीत तो खेल धरा का, यहीं धरा रह जायेगा, कर्म बचेंगे जग में जिंदा बाकी सब ढ़य जायेगा"* इसी क्रम में औरैया से पधारीं श्रीमती गीता चतुर्वेदी ने अपने कई गीत सुना कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया, उनके गीत - *"नजर में शहर जो बसाया हुआ है*,
*मेरा गाँव मुझसे पराया हुआ है*"को बहुत सराहना मिली। नगर का प्रतिनिधित्व करते हुए डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ ने, अपना गीत पढ़ा- *"रात के जाते हुए पथ पर चरण रखता सबेरा, रंग भरता तूलिका से, व्योम पर जग का चितेरा*"मथुरा से पधारे सम्मानित कवि तेजपाल शर्मा ने पढ़ा - *"झोपड़ी में उदासी है छाई, इक किरण रौशनी की न आई, चंदा, सूरज, सितारे जो भी थे, सबने महलों में ही शरण पाई*" तदोपरांत कार्यक्रम के संयोजक अखिलेश सक्सेना ने अपनी ग़ज़ल कुछ यूँ गुनगुनाई - *"वो उफनती नेह की सरिता सुहानी अब कहाँ*,
*नागफनियां जिंदगी में राजधानी अब कहाँ*" तदोपरांत दिल्ली से पधारे अभिनंदित ग़ज़लकार दीक्षित दनकौरी ने लगभग दर्जन भर अपनी ग़ज़ल पढ़कर, श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, उनका शेर, - *"पसारू हाथ क्यों आगे किसी के*,
*तरीके और भी हैं खुदखुशी के*" एक और ग़ज़ल- *"मेरी ग़ज़ल या नज़्म रूबाई सब मिट्टी*
*तुझ तक ही गर पहुँच न पाई, सब मिट्टी*"जैसी बेहतरीन ग़ज़लें सुनाकर , दीक्षित दनकौरी ने श्रोताओं की जी -भरकर वाहवाही लूटी। कार्यक्रम में डा० राम प्रकाश पाल पथिक, डा० शंकर लाल, होरी लाल व्यास, डा० अजय अटल, मनोज मंजुल, डा० विमलेश अवस्थी, डा० सुरेन्द्र गुप्ता, चक्रेश गौड़ आदि स्थानीय कवियों ने भी अपनी सराहनीय प्रस्तुतियों दीं। कार्यक्रम में मधुर पुंढ़ीर, सतीश चन्द्र माहेश्वरी, एस०सी० अग्रवाल, डा० भवानी शंकर शर्मा, आलोक सक्सेना, संतोष अग्रवाल, अतुल सक्सेना, डी०के० झा, मनोज शर्मा शलभ, आदर्श सक्सेना, एड०, शाखा प्रबंधक राजीव वार्ष्णेय, कौशल अग्रवाल, विमल सिसौदिया, मुनेन्द्र पाल सिंह राजपूत (एड०) दीपक सक्सेना, सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध श्रोतागण उपस्थित रहे। संयोजक अखिलेश सक्सेना ने सभी आगंतुकों के प्रति आत्मीय आभार व्यक्त किया।
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