➡️काव्य- गोष्ठी में डा० दिनेश की पुस्तकों "परशुराम की प्रतीक्षा में ओज" और "मुंशी प्रेमचंद के नारी- पात्र" पर हुई गंभीर चर्चा और समीक्षा साथ ही कविताओं की बही रसधार ....!!!!
कासगंज 21 जून,निर्झर साहित्यिक संस्था, कासगंज ने अलीगढ़ के कवि एवं साहित्यकार डा० दिनेश कुमार शर्मा के सम्मान में साहब वाला पेच स्थित 'निर्झर' कार्यालय पर वरिष्ठ चिकित्सक डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ की अध्यक्षता एवं डा० सुभाष चन्द्र दीक्षित के मुख्य आतिथ्य में आयोजित की |मुख्य अतिथि के रूप में डा० सुभाष चन्द्र दीक्षित उपस्थित रहे!
डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ की शारदे वंदना, "माँ जन- जन डूबे रचना रस में,ऐसा निर्झर दे, माँ अक्षर वर दे" के साथ कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ|तत्पश्चात डा० दिनेश कुमार शर्मा की नवीनतम पुस्तकें, क्रमशः 'परशुराम की प्रतीक्षा में ओज' तथा 'मुंशी प्रेमचंद के नारी- पात्र' पर कवियों द्वारा गंभीर चर्चा एवं समीक्षात्मक टिप्पणियां के साथ पुस्तकों की सार्थकता को रेखांकित किया गया! तदोपरांत मनोज 'शलभ' ने पढा़,"समृद्ध बने अपना भारत ऐसा मेरी वर दे माता " तत्पश्चात दीपक सक्सेना ने व्यंग्यात्मक रचना पढी़, "फाइदा उठाऊंगा अपने प्रभाव का, यदि जीत जाऊँ दंगल चुनाव का" तत्पश्चात डा० राम प्रकाश 'पथिक' ने पढा़, "सब बेटियों पर बाप होते हैं,हर बाप पर बेटी नहीं होती" अतिथि कवि डा० दिनेश कुमार शर्मा ने रचना पढी़, "भारत के ज्योतित ललाट पर दाग न लग जाए, अपने ही चिराग से घर को आग न लग जाए" कार्यक्रम संचालन अखिलेश सक्सेना ने पढा़,
" भूख से लड़- लड़ दिन काटे और नींद से जग- जग रातें...", कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा० अखिलेश चन्द्र गौड़ गीत पढा़, " मैं कवि नहीं हूँ, कवि हृदय को पास रखता हूँ" वयोवृद्ध कवि सुरेश चन्द्र सक्सेना के काव्य- पाठ से पूर्व उनके कहानी- संग्रह "मुक्ति- बंधन" का अथितियों द्वारा विमोचन किया गया, उन्होंने पढा़ " वह पुष्प क्या जिसमें गंध न हो, और वह महफ़िल क्या जिसमें रंग न हो " दिनेश उपाध्याय 'जीवन', देवेंद्र शर्मा 'भ्रमर' आदि ने भी सराहनीय काव्य- पाठ किया |
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