👉उदयपुर : गीता और प्रताप हमारे ‘ब्रहमास्त्र‘: प्रो. सारंगदेवोत
- भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान के राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष बने प्रो. सारंगदेवोत
- मानवाधिकारों की रक्षा के वैश्विक संरक्षक थे प्रताप- रामकृष्ण गोस्वामी
उदयपुर 21 जुलाई। गीता और महाराणा प्रताप हमारे ‘ब्रहमास्त्र‘ हैं। अंदाजा, इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वैश्विक महामारी कोरोना में अमेरिका जैसा देश भी डिप्रेशन का शिकार हो गया। भारत भी इस समस्या से जूझ रहा है, लेकिन निराशावादी भाव यहां विलुप्त है। क्योंकि, एक तरफ मेवाड़ के आराध्य से उन्हें शौर्य मिलता है तो दूसरी तरफ गीता से विभिन्न परिस्थितियों से निबटने का गूढ़ ज्ञान। यही कारण है कि गीता और प्रताप हमारे ब्रहमास्त्र हैं जो कोरोना जैसी कई बीमारियों से निबट सकने में सार्थक हैं।
यह बात बुधवार को राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. एस.एस सारंगदेवोत ने प्रतापनगर स्थित प्रशासनिक कार्यालय पर हुई प्रेसवार्ता में कही। इस अवसर पर चरित्र निर्माण संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकृष्ण गोस्वामी ने प्रो. सारंगदेवोत को संस्थान का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त करने की घोषणा की। गोस्वामी ने बताया कि राजस्थान विद्यापीठ, भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान दिल्ली के साझे में 18 से 24 जुलाई तक मेवाड़ की ऐतिहासिक हल्दीघाटी से लेकर गुजरात में द्वारिकाधीश तक निकाली जा रही गीता सदेश यात्रा का मुख्य उद्देश्य गीता के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा, अपराधों में कमी के साथ-साथ मानव अधिकारों की रक्षा का संदेश देना है। मेवाड़ में महाराणा प्रताप ने वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों की रक्षा व सर्व धर्म समभाव, विश्व शांति का जो पाठ पढ़ाया था, उसे वर्तमान पीढ़ी तक पहुंचाना है। ताकि अपराध मुक्त समाज का निर्माण किया जा सके। कर्म योग के पथ पर चलने के लिए गीता का अध्ययन जरूरी है।
राष्ट्रचेतना का भाव पैदा करना है : गोस्वामी ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा के साथ-साथ हमारे युवाओं में राष्ट्रचेतना और मानवाधिकार का भाव पैदा करना है। वर्तमान में समाज में अलगाव व अपराध आदि बढ़ रहे हैं, ऐसे में मेवाड़ की भूमिका प्रभावी हो जाती है, क्योंकि यहां के प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप ने मानवाधिकारों के लिए संधर्ष का मुगलों के जमाने में सूत्रपात किया था। इस लडाई में उन्होंने स्वतंत्रता के लिए समानता का रास्ता अपनाया, उनकी फौज में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व रहा। मेवाड़ से हजारों महिलाओं ने अपनी स्वतंत्रता के खतरे को भांपते हुए जौहर कर कर उस विचार को पोषित किया। राजनीति के राजधर्म की राजविद्या प्रताप ने अपनी मां जेवन्ताबाई बाई से गीता संदेशों से माध्यम से सीखी। लिहाजा मेवाड का दायित्व भी इस दिशा में काफी अधिक बढ़ जाता है। वर्तमान में हमें इसी दिशा में कार्य करते हुएयुवा पीढि को राष्ट्रचेतना व मानवाधिकारों का पाठ पढाना है।
पूरा करेंगे प्रण : प्रेसवार्ता में भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान के प्रदेशाध्यक्ष राव गोविदसिंह भारद्वाज ने कहा कि विधानसभा में महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित करने का जो प्रण लिया गया है, वो आगामी दो साल में पूरा किया जाएगा। हालांकि, इसके लिए सरकार से बातचीत शुरु हो चुकी है। सांसदों, विधायकों तथा जन मानस के व्यापक समर्थन के बाद यह प्रयास अंतिम चरण में हैं। प्रो सारंगदेवोत ने बताया कि प्रताप की निर्वाण स्थली चावण्ड में 101 फीट की भव्य प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प शीघ्र ही सिद्ध होगा। सरकार से जमीन लेने की कोशिश हो रही है लेकिन यदि संभव नहीं हो पाता है तो जन सहयोग से इस प्रण को पूर्ण किया जाएगा।
- घनश्यामसिंह भींडर
जनसंपर्क अधिाकरी, राजस्थान विद्यापीठ
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